Top 5 Games Gearing Up to Steal Your Time in 2024 Strap in, gamers! Get ready to lose yourself in sprawling universes, epic adventures, and captivating stories. 2024 is shaping up to be a phenomenal year for gaming, with highly anticipated titles promising to deliver unforgettable experiences. This blog post dives into the top 5 trending games that are generating the most buzz and excitement. From beloved franchises returning with a fresh twist to innovative new concepts, these titles are poised to dominate your playtime (and social media feeds) in the coming months. So, clear your schedules, stock up on snacks, and dive into the hype with us! Here's what awaits you in the thrilling world of games this year. 1. Prince of Persia: The Lost Crown (Ubisoft): This 2.5D side-scrolling action-adventure revives the beloved franchise, offering classic platforming and time-manipulation mechanics in a mythical Persian setting. Its January release has garnered significant attention. 2. Star W...
राजस्थान:एक परिचय
भक्ति और शौर्य यह और वीरता का संगम स्थल तथा साहित्य कला एवं संस्कृति की आज की राजस्थान हमारे देश का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है प्राचीनतम ताम्र युगीन मानव सभ्यताएं एवं वैदिक सभ्यता खूब फली फूली है और चिरकाल में इसी भूमि के गर्भ में विलीन हो गई जिन के अवशेष यदाकदा पुरातात्विक अवशेषों के रूप में मिलते रहते हैं जो यहां की समग्र प्राचीन धरोहर का दर्शन कराते हैं यहां की शौर्य गाथा वीरों के प्रक्रम के किस्से लोकधर्मी कलाओं की समृद्धि व विराट विरासत सदियों से एक तपस्वी मनस्वी की तरह रेत की चादर ओढ़ी निस्वार्थ भाव से भारत माता की सांस्कृतिक विरासत को अपना सब कुछ अच्छा करती रही है और विश्व में और समृद्ध बनाती रही है
इस मरू प्रधान प्रदेश को समय समय पर विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है महर्षि वाल्मीकि ने इस विभाग के लिए मरु कांतार शब्द का प्रयोग किया है राजस्थान शब्द का प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी आदित्य वसंतगड के शिलालेख विक्रम संवत 682 में उत्कीर्ण में हुआ है इसके बाद मुहणोत नैणसी री ख्यात एवं राजरूपक नामक ग्रंथों में भी राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ है छठी शताब्दी में इस राजस्थानी भू भाग में अपनी वीरता एवं बलिदान के लिए इतिहास में प्रसिद्ध राजपूती राज्य का उदय हुआ जो धीरे-धीरे इसके संपूर्ण क्षेत्र में अलग-अलग रियासतों के रूप में विस्तृत हो गई यह रियासते विभिन्न राजपूत शासकों के नियंत्रण में थी जैसे मेवाड़ के गुहिल मारवाड़ के राठौड़ ढूंढाड़ की कच्छवाहा अजमेर के चौहान आदि प्रसिद्ध राजपूत जिनकी कीर्ति पताका आज भी संपूर्ण विश्व में फैली हुई है राजपूत राज्यों की प्रधानता के कारण ही कालांतर में इस संपूर्ण भूभाग को राजपूताना कहा जाने लगा राजस्थानी भू भाग के लिए राजपूताना शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्रयोग सन्1800 ईमें जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया था कर्नल जेंस टोड ने इस प्रदेश को राजस्थान का तत्सम स्थानीय बोलचाल एवं लौकिक साहित्य में राजाओं के निवास के प्रांत को राज थान कहते थे ब्रिटिश काल में यह प्रांत राजपूताना यार रजवाड़ा तथा अजमेर मेरवाड़ा के नाम से पुकारा जाता था
इस भौगोलिक भूभाग के लिए राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान के इतिहास पर 1829 में लंदन में प्रकाशित अपनी प्रसिद्ध ऐतिहासिक क्रती मे किया स्वतंत्रता पश्चात राज्य पुनर्गठन की प्रक्रिया के दौरान अलग-अलग नामकरण के पश्चात अंततः 26 जनवरी 1950 को औपचारिक रुप से इस संपूर्ण भोगोलिक प्रदेश का नाम राजस्थान स्वीकार किया गया तब अजमेर मेरवाडा क्षेत्र से शामिल नहीं था
1 नवंबर 1956 को राज्य का पुनर्गठन होने पर यह क्षेत्र राजस्थान का हिस्सा हो गया स्वतंत्रता के समय राजस्थान 19 देशी रियासतों तीन ठिकानों कुशलगढ़ नीमराणा तथा चीफ कमिश्नर द्वारा प्रशासित अजमेर मेरवाड़ा प्रदेश में विभक्त था स्वतंत्रता के बाद 1950 अजमेर मेरवाडा को छोडकर उस समय अजमेर भीलवाड़ा की प्रथम एवं एकमात्र मुख्यमंत्री श्री हरिभाऊ उपाध्याय थी राजस्थान अपने वर्तमान सवरूप में 1 नवंबर 1956 को आया इससे पूर्व राजस्थान निर्माण के निम्नतम चरणों में से गुजरा-
चित्रराजस्थान के सभी प्रकार के मानचित्र को डाउनलोड करने के लिए क्लिक करेंclick here to download
धन्यवाद
1 नवंबर 1956 को राज्य का पुनर्गठन होने पर यह क्षेत्र राजस्थान का हिस्सा हो गया स्वतंत्रता के समय राजस्थान 19 देशी रियासतों तीन ठिकानों कुशलगढ़ नीमराणा तथा चीफ कमिश्नर द्वारा प्रशासित अजमेर मेरवाड़ा प्रदेश में विभक्त था स्वतंत्रता के बाद 1950 अजमेर मेरवाडा को छोडकर उस समय अजमेर भीलवाड़ा की प्रथम एवं एकमात्र मुख्यमंत्री श्री हरिभाऊ उपाध्याय थी राजस्थान अपने वर्तमान सवरूप में 1 नवंबर 1956 को आया इससे पूर्व राजस्थान निर्माण के निम्नतम चरणों में से गुजरा-
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